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Table of Contents

1. सिद्ध कवियों द्वारा प्रयुक्त भाषा को कहा जाता है

(1) डिंगल

(2) अपभ्रंश

(3) अवहट्ठ

(4) संध्या

उत्तर (4): सिद्धों की भाषा का स्वरूप साहित्यिक अपभ्रंश से भिन्न रूप लिए हुए है। इसमें तत्समता की प्रवृत्ति स्पष्टतः देखने को मिलती है। इसे आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों ने अप्रभंश से इतर हिन्दी की प्रमुख विशेषता के रूप में स्वीकार किया है। सिद्धों की भाषा को ‘संध्या भाषा’ भी कहा जाता है। सिद्धों ने प्रमुखतः दोहा कोष तथा चर्यापद जैसे काव्य रूपों का प्रयोग किया है जो कि ‘कड़वक’ शैली में मिलते हैं। स्रोत- नेट / स्लेट – हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त – 

2. इनमें से कौन-सा शब्द वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध है :

(1) आर्शीवाद

(3) आशीर्वाद

(2) आर्शीबाद

(4) आशीर्वाद

उत्तर (3) : निम्नलिखित शब्दों में वर्तनी की दृष्टि से शुद्ध शब्द ‘आशीर्वाद’ है जबकि अन्य शेष तीनों शब्दों में व्यंजन सम्बन्धी अशुद्धियाँ हैं। स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी, डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

इनमें से कौन द्विवेदी युग का कवि नहीं है : 

(1) अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध”

(2) सोहन ग्ल द्विवेदी

(3) रामनरेश त्रिपाठी 

(4) मैथिलीशरण गुप्त

उत्तर (2) : सोहनलाल द्विवेदी, द्विवेदी युग के कवि न होकर राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि हैं। सोहनलाल द्विवेदी नवयुग की राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत एवं प्रमुख गाँधीवादी कवि हैं। द्विवेदी जी बड़े भावुक और राष्ट्रीय विचारधारा के कवि हैं। इनकी कृतियों में प्रमुख है-भैरवी, युगारंभ, पूजाग ेत, सवदत्ता, कुणाल, विषपान, सेवाग्राम, प्रभाती, वासंती, युगांधार, चित्रा आदि। जबकि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, रामनरेश त्रिपाठी और मैथिली शरणगुप्त द्विवेदी युग के प्रमुख कवि हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, मिश्र एवं पाण्डेय, 

4. ‘त्यागपत्र’ उपन्यास के लेखक का नाम है

(1) यशपाल

(2) भयगतीचरण वर्मा

(3) वृंदावन लाल वर्मा

 (4) जैनेन्द्र कुमार

उत्तर (4): जैनेन्द्र का प्रमुख उपन्यास ‘त्यागपत्र’ 1937 मेंप्रकाशित हुआ। हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक भाग्यहीना युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक कथा अत्यन्त प्रभावशाली बन सकी है। जैनेन्द्र की अन्य औपन्यासिक कृतियों में परख 1929, सुनीता- 1935. – कल्याणी – 1939. सुखदा 1953 विवर्त-1953 व्यतीत- 1953 जयवर्द्धन 1956 शामिल हैं। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा.डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ० 283

5. निम्नलिखित में से कौन फोर्टविलियम कॉलेज (कलकत्ता) में हिन्दी के अध्यापक थे :

 (1) इंशा अल्ला खाँ 

(3) राजा लक्ष्मण सिंह

(2) सदल मिश्र

 (4) सदासुखलाल

उत्तर (2) सन् 1800 ई0 में कलकत्ता में ‘फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गयी। इस कॉलेज में भारतीय भाषाओं के प्रोफ़ेसर के रूप में डॉ० जॉन गिल क्राइस्ट को नियुक्त किया गया। इन्होंने हिन्दी के शिक्षण के लिए दो भाषा पण्डितों- लल्लू लाल एवं सदल मिश्र की नियुक्ति की। लल्लू लाल ने प्रेमसागर तथा सदलमिश्र ने नासिकेता पाख्यान’ की रचना की। जबकि सदासुख लाल की सुख सागर इंशा अल्ला खाँ की रानी केतकी की कहानी। प्रमुख रचनाएं है। राजा लक्ष्मण सिंह ने ‘प्रज्ञा हितैषी’ नामक पत्र निकाला तथा ‘रघुवंश’ ‘मेघदूत’ तथा ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम् का अनुवाद हिन्दी में किया।स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा-डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त – पृष्ठ संख्या 164-166 धनिया और झुनिया 

प्रेमचंद के किस उपन्यास के पात्रहैं :

 (1) गवन

(3) कर्मभूमि

(2) गोदान 

(4) प्रेमाश्रम

उत्तर (2) धनिया और झुनिया प्रेमचन्द्र के गोदान नामक उपन्यास के पात्र हैं। गोदान के अन्य प्रमुख पात्र हैं – होरी, भोला, गोबर, राय साहब, पन्ना तथा प्रोफेसर मेहता, संपादक ओंकारनाथ, मुन्नी, सिलिया, नोहरी, दुलारी, मालती, गोविंदी आदि के चरित्र धरातल पर प्रस्तुत हैं तथा ये अपने-अपने वर्ग के प्रतिनिधि भी हैं। गोदान में मुन्शी प्रेमचन्द ने यथार्थ के चित्रण द्वारा समाज में निहित कुत्सित वृत्तियों का उन्मूलन चाहा है।स्रोत- गोदान, मुंशी प्रेमचन्द 

निम्नलिखित संत कवियों में से कौन संत कवि.

पढ़ा-लिखा था :

(1) दादू दयाल

(3) कबीर

(2) रैदास

(4) सुन्दरदास

उत्तर (4): सुन्दरदास छोटी आयु में ही संत दादू के शिष्य बनकर अध्ययन के लिए काशी चले गये। इन्होंने व्याकरण, दर्शन, साहित्य, वेदान्त और पुराणों का गंभीर अध्ययन किया। इन्हें फारसी भाषा का भी पर्याप्त ज्ञान था। इनके द्वारा विरचित छोटे-बड़े 42 ग्रंथों की चर्चा की जाती है। इनका प्रकाशन सुन्दर ग्रन्थावली’ नाम से हो चुका है। इनकी रचनाओं में सुन्दर विलास विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। इन्होंने श्रृंगार रस का खुलकर विरोध किया। दादू दयाल की रचनाओं का संकलन हरडेवाणी’ नाम से किया गया, रैदास की रचनाओं का संकलन रविदास की बानी नाम से तथा कबीर की रचनाओं का संकलन ‘बीजक’ नाम से किया गया जिसके तीन भाग हैं-साखी, शब्द तथा रमैनी स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा.शर्मा, गुप्ता पूo 118 

‘भक्तमाल’ के रचनाकार हैं :

(1) रैदास 

(3) धरमदास

(2) नाभादास

 (4) जीवादास

उत्तर (2) गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन राम भक्त कवियों में नाभादास का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने हिन्दी में भक्तमाल- परम्परा का सूत्रपात ही नहीं किया वरन अद्यावधि उपलब्ध भक्तमालों में सर्वश्रेष्ठ भक्तमाल हिन्दी को दिया। उनके ‘भक्तमाल’ का रचनाकाल 1596 ई० स्थिर किया जाता है। नामादास जी अग्रदास जी के शिष्य थे। नाभादास ने ‘अष्टयाम’ नामक एक अन्य ग्रन्थ की रचना श्रृंगार-भक्ति अथवा रसिक भावना को लेकर की है। स्रोत- हिन्दी-साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र,0 189, 190

9. बालमुकुंद गुप्त रचित निबंध संग्रह का नाम है

(1) भारत मित्र

(2) प्रज्ञा मित्र

(3) शिवसागर की चिट्टियां 

(4) शिवशंभु के चिहे 

उत्तर (4) बालमुकुन्द गुप्त के निबन्धों में व्यंगपूर्ण शैली का निखरा रूप मिलता है। इनका निबन्ध संग्रह शिवशं भुका चिट्ठा’ अत्यधिक लोकप्रिय है। इनके विचार-भावना के पीछे सजग राष्ट्रीय व्यक्तित्व काम करता है। भाषा चलती, सजीव तथा विनोदपूर्ण है। इनके निबन्धों में भावात्मक तथा कथात्मकता का आधिक्य है स्रोत-हिन्दी साहित्य का इतिहास, मिश्र एवं पाण्डेय, पृ0 261

10.’पद्मावत’ के अनुच्छेदों का नाम है : 

(1) सर्ग

(3) खण्ड

(2) काण्ड

 (4) अंक

उत्तर (3) ‘पद्मावत’ जायसी की रचना है। निःसन्देह ‘पद्मावत’ हिन्दी का महाकाव्य है। इसकी कथा का पूर्वार्द्ध लोकप्रचलित तथा काल्पनिक है तथा उत्तरार्द्ध ऐतिहासिक इसका नायक राजकुल से सम्बन्धित है पद्मावत की पूरी कथा 52 सगों जिन्हें खण्ड कहा गया है, में विभक्त हैं। जायसी की कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं-पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, चित्ररेखा, कहरनामा, मसलनामा और कान्हावत ।स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियों डॉ० शिवकुमार शर्मा, 

11. अब तक निम्नलिखित में से किस साहित्यकार कोजन्म शताब्दी नहीं मनाई गई है: 

(1) आचार्य रामचंद्र शुक्ल

 (2) रामधारी सिंह ‘दिनकर

‘ (4) जयशंकर प्रसाद

(3) भारतेंदु हरिश्चंद्र

 उत्तर (2)

 12. निम्नलिखित में से किस कृति के लेखक जयशंकर प्रसाद नहीं हैं:

(1) कानन कुसुम 

(3) चारू चंद्रलेख

(2) ध्रुवस्वामिनी 

(4) तितली

उत्तर (3) निम्नलिखित कृतियों में ‘चारुचन्द्रलेख के लेखक जयशंकर प्रसाद नहीं हैं बल्कि यह रचना हजारी प्रसाद द्विवेदी की है। हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित अन्य उपन्यास- बाण भट्ट की आत्मकथा – 1946) पुनर्नवा 1973 तथा अनामदास का पोथा 1976 आदि है। कानन कुसुम, ध्रुवस्वामिनी एवं तितली के अलावा जयशंकर प्रसाद की प्रमुख कृतियां हैं- चित्राधार, प्रेमपथिक, करुणालय महाराणा का महत्व, झरना, आँसू लहर, कामायनी, सज्जन, कल्याणी परिणय प्रायश्चित, राज्य श्री. विशाख, अजात- शत्रु, कामना, जनमेजय का नागयज्ञ, स्कन्दगुप्त, एक घूँट, चन्द्रगुप्त आदि। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त, पृ० 284

13. ‘कृष्ण गीतावली’ नामक काव्य कृति के रचनाकार हैं :

 (1) सूरदास

 (2) मीराबाई 

(3) नरोत्तम दास 

(4) तुलसी 

उत्तर (4) कृष्ण गीतावली’ नामक काव्य कृति के रचनाकारगोस्वामी तुलसीदास जी हैं। इनकी अन्य काव्यकृतियाँ- रामलला नहछू पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवैvरामायण, वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, कवितावली, दोहावली’गीतावली, विनय पत्रिका, रामचरितमानस इत्यादि हैं।स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा,शर्मा, गुप्त पृ० 142 

14. नीचे भाषा की चार विशेषताएं दी गई हैं। 

इनमें से जो एक गलत विशेषता है उसे चुनिए

(1) भाषा परिवर्तनशील होती है

 (2) भाषा पैतृक संपत्ति होती है।

(3) भाषा सामाजिक संपत्ति होती है.

(4) भाषा अनुकरण द्वारा सीखी जाती है.

उत्तर (2) 

15. ‘जुगुप्सा’ स्थायी भाव होता है :

(1) वीर रस का

(2) रौद्र रस का

 (3) अद्भुत रस का 

(4) वीभत्स रस का

उत्तर (4) जुगुप्सा नामक स्थायी भाव विभावादि भावों के द्वारा जब परिपक्वावस्था होता है तब वह बीभत्स रस कहा जाता है उत्साह’ नामक स्थायी भाव जब विभावादि के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणित होता है तब वही वीर रस कहलाता है। रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है तथा अदभुत रस का स्थायी भाव ‘आश्चर्य’ होता है स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी, डॉ० पृथ्वी नाथ पाण्डेय, पृ0 454

16.’टकसाली भाषा’ कहते हैं : 

(1) संस्कृतनिष्ठ भाषा को 

(2) ग्रामीण भाषा को 

(3) परिनिष्ठित भाषा को 

(4) कृत्रिम भाषा को

 उत्तर (1)

17. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सन् 1947 ई० में गठित ‘देवनागरी लिपि सुधार समिति के अध्यक्ष थे

(1) डॉ0 धीरेन्द्र वर्मा 

(2) संपूर्णानंद

(3) आचार्य नरेन्द्र देव

(4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (3): देवनागरी लिपि के सुधार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सन् 1947 ई0 में आचार्य नरेन्द्र देव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जिसने सब सुझाओं का आकलन और अध्ययन करने के बाद अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। स्रोत- हिन्दी भाषा, डॉ० हरदेव बाहरी, पृ0 91

18.’अवहट्ठ’ भाषा से तात्पर्य है : 

(1) ग्रामीण अपभ्रंश

 (2) परिनिष्ठित अपभ्रंश

(3) ग्रामीण प्राकृत

(4) परिनिष्ठित प्राकृत

उत्तर (1): भाषा परिवर्तनशील है। अपभ्रंश भाग के परवर्ती रूप को विद्वानों ने अवहट्ट कहा है। हेमचन्द्र ने अपने ग्रन्थ ‘काव्यानुशासन में शिष्ट (परिनिष्ठित ) अपभ्रंश से भिन्न ग्राम्य अपभ्रंश की स्थिति स्वीकार की है। ग्राम्य अपभ्रंश शिष्ट अपभ्रंश की अपेक्षा जनभाषा के अधिक निकट है। स्रोत- हिन्दी भाषा, डॉ० मीरा दीक्षित, पृ0 19 

19. हिन्दी साहित्य का पहला इतिहास लिखा गया था:

(1) संस्कृत भाषा में

 (2) जर्मन भाषा में

(3) फ्रेंच भाषा में 

(4) अंग्रेजी भाषा में

उत्तर (3) : अब तक की जानकारी के अनुसार हिन्दी साहित्य के इतिहास का सर्वप्रथम लेखक एक विदेशी फ्रेंच विद्वान् गार्सा द टॉसी ठहरते हैं। उन्होंने फ्रेंच भाषा में इस्त्वार द ला लिटरात्यूर एंदुई ऐ ऐंदुस्तानी नामक ग्रन्थ में अंग्रेजी वर्ण क्रमानुसार हिन्दी और उर्दू भाषा के अनेक कवियों और कवयित्रियों का परिचय दिया है। स्रोत- हिन्दी साहित्य-युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव कुमार शर्मा, पृ0 4

 20. हिन्दी का पहला पत्र ‘उदंत मार्तण्ड की प्रकाशन भूमि थी :

 (1) दिल्ली

(3) कलकत्ता

(2) इलाहाबाद 

(4) बनारस

उत्तर (3) पत्र-पत्रिकाओं का सम्बन्ध सीधे जन-जागरण से है। जनजागरण को अपनी आवाज बुलन्द करने के लिए पत्र-पत्रिकाओं का सहारा लेना पड़ता है। उन दिनों जन-जागरण का केन्द्र कलकत्ता नगर था। हिन्दी पत्रकारिता का आरम्भ वहीं से हुआ। हिन्दी का पहला समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तण्ड’ 1826 ई० में कलकत्ता से ही प्रकाशित हुआ था। यह साप्ताहिक पत्र था। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र, पृ0 481

 21. आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में ‘राजा द्वय’ के नाम से विख्यात दो रचनाकार हैं:

 (1) राजा लक्ष्मण सिंह और राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह

(2) राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद और राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह

(3) राजा लक्ष्मण सिंह और राजा शिवप्रसाद सितारेहिंद 

(4) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर (3): आधुनिक हिन्दी साहित्य के इतिहास में राजाद्वय् के नाम से राजा लक्ष्मण सिंह एवं राजा शिव प्रसाद सितारे हिन्द विख्यात दो रचनाकार है। हिन्दी-उर्दू संघर्ष में दोनों में राजा शिव प्रसाद सितारे हिन्द और राजा लक्ष्मण प्रसाद सिंह हिन्दी के पक्षपाती एवं संरक्षक बनकर सामने आये। | राजा शिवप्रसाद की अपनी लिखी हुई रचनाएं हैं-आलसियों का कीड़ा. राजा भोज का सपना, भूगोल हस्तामलक, इतिहास तिमिर नाशक, गुटका, हिन्दुस्तान के पुराने राजाओं का हाल, मानव धर्म का सार सिक्ख का उदय और योग वशिष्ठ के चुने हुए श्लोक, उपनिषद सार आदि राजा लक्ष्मण सिंह ने आगरा से प्रजा हितैषी’ नामक एक पत्र – निकाला तथा कालिदास के रघुवंश मेघदूत तथा अभिज्ञान शाकुन्तलम् का हिन्दी में अनुवाद किया।स्रोत- हिन्दी साहित्य-युग और प्रवृत्तियां, डॉ० शिव कुमार शर्मा, पं0 600

 22. अनामदास का पोथा शीर्षक उपन्यास के लेखक हैं: 

(1) वृंदावनलाल वर्मा

(2) भगवतीचरण वर्मा

 (4) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(3) अमृतलाल नागर

 उत्तर (4) अनामदास का पोथा नामक ऐतिहासिक उपन्यास H के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं। इनकी इस रचना का कथा सूत्र छान्दोग्य और वृद्धरण्यक उपनिषदों में विद्यमान है। इसमें लेखक ने समाज में भोग व योग के संतुलन पर बल दिया है। हजारी प्रसाद द्विवेदी की अन्य औपन्यासिक कृतियां हैं- बाणभट्ट की आत्मकथा, चारुचन्द्र लेख, पुनर्नवा आदि। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियां, डॉ० शिवकुमार शर्मा, पृ० 632 

23.आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा ‘सरस्वती’ पत्रिका .का संपादन-भार ग्रहण किया गया था

 (2) 1903 ई० में

(1) 1900 ई0 में

 (3) 1907 ई0 में

(4) 1909 ई0 में

उत्तर (2) आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सन् 1903 में सरस्वती पत्रिका के सम्पादक बने और सन् 1920 तक उसका सम्पादन करते रहे ये कवि आलोचक, निबन्धकार, अनुवादक एवं सफल सम्पादक थे। इनके द्वारा अनुदित तथा मौलिक गद्य-पद्य ग्रन्थों की संख्या 80 के लगभग है। इनकी मौलिक काव्य रचनाओं में काव्य मंजूषा, सुमन तथा कान्य कुब्ज और अबला विलाप आदि है। अनूदित काव्य-कृतियों में गंगा लहरी, ऋतु तरंगिणी, और कुमार संभवसार आदि को विशेष महत्व प्राप्त है स्रोत-हिन्दी पात्रता परीक्षा डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ० 176, 177

24. ‘नीला चाँद’ उपन्यास के लेखक हैं :

(1) रांगेय राघव

 (3) शैलेश मटियानी

(2) सुरेन्द्र वर्मा

(4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (4): नीला चाँद’ उपन्यास के लेखक शिव प्रसाद सिंह है जो में नहीं दिया गया है। ‘अलग-अलग एवं ‘गली आगे मुड़ती है’ नामक कृतियां भी शिव प्रसाद सिंह की है। योत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ0 98

25.नागार्जुन किस काव्यधारा के कवि हैं:

(1) प्रगतिवाद 

(3) अकविता

(2) प्रयोगवाद

(4) समकालीन कविता

उत्तर (1): नागार्जुन प्रगतिवादी काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। मैथिली में ये ‘यात्री’ नाम से लिखते रहे हैं और साहित्यिक हल्कों में बाबा के नाम से जाने जाते हैं। इनकी काव्य कृतियाँ हैं-युगधारा, प्यासी पथराई आँखे, सतरंगे पंखों वाली, तालाब की मछलियाँ और भस्मांकुर तथा उपन्यासों में रतिनाथ की चाची, बलचनमा, नई पौध बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे, दुःख मोचन, कुम्भीपाक, हीरक जयन्ती, उग्रतारा, इमरतिया और जमन्या का बांबा प्रमुख हैं। योत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, ड्रॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ० 199-200

26. ‘सिंह द्वार’ शब्द में समास है :

 (2) अव्ययीभाव

(1) तत्पुरूष

 (3) कर्मधारय

(4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (1)

 27. ‘अपनी केवल घार काव्य-संकलन के रचनाकार हैं : (1) केदारनाथ अग्रवाल 

(2) केदारनाथ सिंह

 (3) सर्वेश्वरदयाल सक्सेना 

(4) अरुण कमल

उत्तर (4) अपनी केवल धार काव्य संकलन के रचनाकार, H अरुण कमल हैं। इनके द्वारा रचित अन्य काव्य कृतियां हैं- ग्रहण-3 तथा सबूत स्रोत- काव्य खण्ड- सम्पादक, कन्हैयालाल मुंशी, पृ0 62

28. राहुल सांकृत्यायन की आत्मकथा का नाम है

(1) मेरी जीवन कथा

(2) मेरी जीवन यात्रा

(3) क्या भूलूँ, क्या याद करूँ ? 

(4) इनमें से कोई नहीं 

उत्तर (2) राहुल सांकृत्यायन की आत्मकथा पाँच खण्डों में ‘मेरी जीवन यात्रा’ शीर्षक से प्रकाशित हुई। इनमें पहले दो खण्ड उनके जीवन काल में क्रमश: 1946 तथा 1947 में प्रकाशित हुई तथा शेष तीन खण्डों का प्रकाशन उनकी मृत्यु के बाद 1967 में हुआ। इन विभिन्न खण्डों में राहुल के जीवन के 63 वर्षों का प्रमाणिक ब्यौरा प्राप्त होता है। मुहावरेदार भाषा में लिखी गयी इस कृति में उनकी मायावरी, विद्याव्यसनी एवं विद्रोही वृत्ति साकार हो उठी है। क्या भूलूं क्या याद करूँ. लोकप्रिय कवि हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा है। इनकी आत्मकथा के अन्य भाग नीड़ का निर्माण फिर बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक शीर्षकों में है। स्रोत-हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र, पृ0 712, 713 

29. प्रेमचंद की मृत्यु हुई थी

(1) 1933 ई0 में

(3) 1935 ई0 में

(2) 1934 ई0 में

 (4) 1936 ई0 में

उत्तर (4) मुंशी प्रेमचन्द का जन्म लमही में सन् 1880 ई० में तथा उनकी मृत्यु सन् 1936 ई0 में हुई थी। इनके बचपन का नाम धनपतराय था। प्रेमचन्द जी पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से कहानियां लिखते थे। इनके द्वारा लिखित उपन्यासों में प्रमुख हैं-गोदान, सेवासदन, कर्मभूमि, रंगभूमि, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, वरदान और कायाकल्प। इनके कहानी संग्रहों में सप्त सुमन, नवनिधि, प्रेमपचीसी प्रेमसदन मानसरोवर (आठ भाग) प्रमुख हैं। नाटकों में संग्राम, प्रेम की वेदी, कर्बला आदि, निबन्धों में कुछ विचार, साहित्य का उद्देश्य प्रमुख हैं। उन्होंने माधुरी, मर्यादा हंस, जागरण आदि पत्रों का सम्पादन भी किया। स्रोत- नवीन हिन्दी डॉ० दीनानाथ मिश्र एवं डॉ० मुक्तेश्वर तिवारी, 

30. अपने जीवन काल में सिर्फ तीन कहानियों की रचना कर हिंदी कथा साहित्य में अपनी अमिट पहचान बना लेने वाले रचनाकार का नाम है, जोशी 

(1) इलाचंद्र

(2) चंद्रधर शर्मा गुलेरी 

 (3) अज्ञेय

(4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (4) मुंशी प्रेमचन्द का जन्म लमही में सन् 1880 ई० में तथा उनकी मृत्यु सन् 1936 ई0 में हुई थी। इनके बचपन का नाम धनपतराय था। प्रेमचन्द जी पहले उर्दू में नवाबराय के नाम से कहानियां लिखते थे। इनके द्वारा लिखित उपन्यासों में प्रमुख हैं-गोदान, सेवासदन, कर्मभूमि, रंगभूमि, गबन, प्रेमाश्रम, निर्मला, वरदान और कायाकल्प। इनके कहानी संग्रहों में सप्त सुमन, नवनिधि, प्रेमपचीसी प्रेमसदन मानसरोवर (आठ भाग) प्रमुख हैं। नाटकों में संग्राम, प्रेम की वेदी, कर्बला आदि, निबन्धों में कुछ विचार, साहित्य का उद्देश्य प्रमुख हैं। उन्होंने माधुरी, मर्यादा हंस, जागरण आदि पत्रों का सम्पादन भी किया। स्रोत- नवीन हिन्दी डॉ० दीनानाथ मिश्र एवं डॉ० मुक्तेश्वर तिवारी, शर्मा, गुप्त, पृ० 290 34 

31. हिन्दी साहित्य में मार्क्सवादी चेतना की अभिव्यक्ति जिस काव्यधारा में देखने को मिलती है उस धारा को कहा जाता है:

 (1) प्रगतिवाद

(2) प्रयोगवाद 

(4) अकविता

(3) जनवाद

उत्तर (1) जो विचारधारा राजनीति क्षेत्र में समाजवाद और दर्शन में द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद है, वही साहित्य क्षेत्र में प्रगतिवाद है। दूसरे शब्दों में मार्क्सवादी या साम्यावादी दृष्टिकोण के अनुसार निर्मित काव्यधारा प्रगतिवाद है। प्रगतिवाद शब्द मार्क्स की साम्यवादी विचारधारा से सर्वथा सम्बद्ध है। प्रगतिवादी साहित्य की मूलधारा कार्ल मार्क्स (1818-1883 ई०) की विचारधारा है। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियां, डॉ० शिव 3 कुमार शर्मा, पृ0 524 

32. दिनकर की कौन-सी काव्य कृति भीष्म पितामह एवं धर्मराज के संवाद के रूप में रचित है : 

(1) रश्मिरथी

(3) उर्वशी

(2) कुरूक्षेत्र

(4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (2) दिनकर की कुरूक्षेत्र नामक काव्य कृति भीष्म पितामह एवं धर्मराज के संवाद के रूप में रचित है। ‘कुरुक्षेत्र के धर्मराज एक संवेदनशील योद्धा के मूर्तरूप हैं जो आत्मग्लानि के अतिरेक में अपने को ही युद्ध का उत्तरदायी मानकर भीष्म के सामने विलाप करते हैं। भीष्म सामाजिक चेतना के प्रतीक है। इसलिए वे युद्ध की नियति के बारे में बात करते हैं कि व्यक्ति के सन्दर्भ में जो मूल्य है, वे ही समाज के सन्दर्भ में दोष बन जाते हैं। ‘रश्मिरथी’ में केवल ‘कर्ण’ के चरित्र का वर्णन है तथा ‘उर्वशी’ में दिनकर ने उर्वशी और पुरूरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र, पृष्ठ. संख्या 640, 641, 644 

33. निम्नलिखित में से कौन-सा निबंधकार ललित निबंधकार नहीं है

(1) रामविलास शर्मा 

(2) कुबेरनाथ राय

(3) विद्यानिवास मिश्र

(4) हजारीप्रसाद द्विवेदी

उत्तर (1) कुबेरनाथ राय, विद्यानिवास मिश्र एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी ललित निबन्धकार है। जबकि रामविलास शर्मा मार्क्सवादी आलोचक हैं और उन्होंने मार्क्सवादी आलोचना से प्रभावित प्रगति और परम्परा प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं आस्था और सौन्दर्य आदि निबन्ध संग्रहों की रचना की। हजारी प्रसाद द्विवेदी के ललित निबन्ध है-अशोक के फूल. विचार और वितर्क, कल्पलता, विचार-प्रवाह और कुटजे विद्यानिवास मिश्र के ललित निबन्ध हैं-चितवन की छाँह तुम चन्दन हम पानी, आंगन का पंछी और बनजारा मन मैने सिल पहुँचाई, मेरे राम का मुकुट भीग रहा है आदि विद्यानिवास मिश्र की तरह कुबेरनाथ राय भी हजारी प्रसाद द्विवेदी संस्थान के ललित निबन्धकार है। इनके प्रमुख निबन्ध संग्रह-प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक गन्धमादन, विषाद योग आदि है स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र, पृ० 693 696 तथा 701

34.’हंस’ पत्रिका के संस्थापक का नाम है : 

(1) जयशंकर प्रसाद

(2) प्रेमचंद

 (3) राजेन्द्र यादव

 (4) अमृत राय

उत्तर (3): निम्नलिखित में से साये में धूप’ कृति के रचनाकार दुष्यंत कुमार हैं। दुष्यंत कुमार के अन्य काव्य संग्रह है-सूर्य का स्वागत, आवाज के घेरे, जलते हुए वन का वसन्त आदि। हिन्दी कविता में गीत और गजल लिखने में दुष्यन्त कुमार का कोई सानी नहीं है। युगधारा के रचनाकार नागार्जुन हैं। खूंटियों पर टंगे लोग के रचनाकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हैं स्रोत-हिन्दी साहित्य का इतिहास – मिश्र एवं पाण्डेय, पृ० 211

35. निम्नलिखित में से किस कृति के रचनाकार दुष्यंत कुमार हैं :

 (i) अपनी केवल धार

 (3) साये में धूप

(2) खूटियों पर टंगे लोग

 (4) युगधारा

उत्तर (3): निम्नलिखित में से साये में धूप’ कृति के रचनाकार दुष्यंत कुमार हैं। दुष्यंत कुमार के अन्य काव्य संग्रह है-सूर्य का स्वागत, आवाज के घेरे, जलते हुए वन का वसन्त आदि। हिन्दी कविता में गीत और गजल लिखने में दुष्यन्त कुमार का कोई सानी नहीं है। युगधारा के रचनाकार नागार्जुन हैं। खूंटियों पर टंगे लोग के रचनाकार सर्वेश्वर दयाल सक्सेना हैं स्रोत-हिन्दी साहित्य का इतिहास – मिश्र एवं पाण्डेय, पृ० 211

36.निम्नलिखित में से कौन ‘नवगीत के प्रसिद्ध उन्नायक

कवि हैं:

(1) वीरेन्द्र मिश्र 

(3) भवानी प्रसाद मिश्र 

(4) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

(2) दुष्यंत कुमार

उत्तर (1) नई कविता’, ‘नई कहानी’ और नई आलोचना के समान ही 1948-50 के मध्य नवगीत लेखन की परम्परा प्रकाश में आयी। आधुनिकता और वैज्ञानिक युगबोध सौन्दर्य के दावेदार तथा कथित नवगीतकारों ने अपने गीतों को नवगीत, नयागीत. अगीत, प्रगीत, लोकगीत, कबीरगीत आदि नामों से अभिहित किया। 1959 में तीसरा सप्तक के प्रकाशन के साथ ही नवगीत विधा की पूर्ण स्थापना हुई। नवगीत के प्रसिद्ध उन्नायक वीरेन्द्र मिश्र हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास. मिश्र एवं पाण्डेय, 

37.निम्नलिखित में से कौन-सा उपन्यासकार एक आंचलिक है:उपन्यासकार 

(1) यशपाल

(3) राही मासूम रजा

(2) जैनेन्द्र कुमार

 (4) अज्ञेय

उत्तर (3): डॉ० राही मासूम रजा के लेखन में पर्याप्त सादगी और सहजता देखने को मिलती है। इनका औपन्यासिक सृजन बहुत अधिक नहीं है। डॉ० इनके द्वारा लिखित और सर्वाधिक चर्चित उपन्यास ‘आधा गाँव है। इसे आंचलिक उपन्यास की अभिधा प्राप्त है। इस उपन्यास में हिन्दू और मुसलमानों के विभाजन की कहानी भी प्रतीकात्मक स्तर पर प्रस्तुत की गयी है। इनके द्वारा लिखित अन्य उपन्यास है- टोपी शुक्ला, ओस की बूँद, सीन 75 हिम्मत जौनपुरी, दिल एक सादा कागज आदि। जैनेन्द्र एवं अज्ञेय मनोविश्लेषणात्मक उपन्यासकार है जबकि यशपाल मार्क्स से प्रभावित उपन्यासकार हैं। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा,शर्मा, गुप्त, पृ० 289

38. प्रेमचंद की कौन-सी कृति अंग्रेजों द्वारा जब्त कर ली गई थी

(1) काया कल्प 

(3) निर्मला

(2) सोज़ेवतन

 (4) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (2) प्रेमचन्द उपन्यास क्षेत्र में जितने महान है. कहानी- क्षेत्र में उससे भी कहीं अधिक महान हैं। प्रेमचन्द कहानी – क्षेत्र में आदर्शोन्मुख यथार्थवादी परम्परा के प्रतिष्ठापक हैं। इनकी उर्दू कहानियों के संग्रह-सोजेवतन’ को अंग्रेज सरकार ने जब्त करके जलवा दिया था। उनकी श्रेष्ठ कहानियां हैं-शतरंज के खिलाड़ी, पंच परमेश्वर आत्माराम बड़े घर की बेटी बज्रपात रानी सारन्धा, अलग्योझा, ईदगाह, अग्नि समाधि, पूस की रात, सुजान भक्त, कफन आदि है जबकि कायाकल्प और निर्मला प्रेमचन्द के उपन्यास हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव कुमार शर्मा, पृ0 643

39.निम्नलिखित में से किस रासो काव्य का मूल वर्ण्य विषय वीर रस न होकर श्रृंगार रस है

(1) खुभाण रासो

(3) बीसलदेव रासो

(2) पृथ्वीराज रासो

(4) परमाल रासो

-उत्तर (3) नरपतिनाल्ह द्वारा रचित ‘बीसलदेवरासो’ मुक्तक-परम्परा का प्रतिनिधि काव्य है। आदिकाल के गेय साहित्य में इसकी चर्चा महत्वपूर्ण रूप से की जाती है। बीसलदेवरासो वस्तुतः प्रेमाख्यान परम्परा की कोटि में आता है। इसमें विवाहानंतर पति-पत्नी के सम्पर्क से प्रेम के विकास का प्रत्यक्षीकरण दिखाया गया है। इस ग्रन्थ में वीर रस का परिपाक तनिक भी नहीं हुआ है। इस ग्रन्थ में श्रृंगार रस का प्राधान्य है। जबकि खुमाण रासो (दलपतिविजय) परमाल रासो या आल्हखण्ड (जगनिक) तथा पृथ्वीराज रासो (चन्दवरदायी) वीर रस प्रधान काव्य हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, मिश्र एवं पाण्डेय, पृ0 40-41 के खिलाड़ी, पंच परमेश्वर आत्माराम बड़े घर की बेटी बज्रपात रानी सारन्धा, अलग्योझा, ईदगाह, अग्नि समाधि, पूस की रात, सुजान भक्त, कफन आदि है जबकि कायाकल्प और निर्मला प्रेमचन्द के उपन्यास हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव कुमार शर्मा, पृ0 643

2. भूषण रीतिकाल की किस काव्यधारा के कवि हैं:

(1) रीतिबद्ध काव्यधारा 

(3) रीतिसिद्ध काव्यधारा

(2) रीतिमुक्त काव्यधारा 

(4) आश्रयवादी काव्यधारा

उत्तर (1): ‘भूषण’ रीतिकाल की रीतिबद्ध काव्यधारा के कवि है। रीतिबद्ध काव्यधारा के अन्य प्रमुख कवि हैं-चिन्तामणि, मतिराम, देव, जसवन्त सिंह, कुलपति मिश्र, मण्डन, सुरतिमिश्र, सोमनाथ, भिखारी दास, दूलह, रघुनाथ, रसिकगोविन्द, प्रतापसिंह, ग्वाल आदि। रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं- घनानन्द, बोधा, ठाकुर और आलम रीतिसिद्धि काव्यधारा के प्रमुख कवि हैं- बिहारी । 1 स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ० 36

41. निम्नलिखित में से मोहन राकेश लिखित एक नाटक है:

(1) जनमेजय का नागयज्ञ 

(2) सिंदूर की होली

 (4) लहरों के राजहंस

(3) मिस्टर अभिमन्यु 

उत्तर (4) मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक लहरों के राजहंस का प्रकाशन 1963 के लगभग हुआ था। यह कृति अश्वघोष के सौन्दरनन्द चरित’ पर आधारित है। इसमें नन्द के माध्यम से वर्तमान युगीन मानव की अनिश्चयात्मक स्थिति को दर्शाया गया है। राकेश मोहन ने नाट्य जगत में तीन नाटकों की रचना की मगर इन कृतियों से ही उनका स्थान अन्यतम है। इनके द्वारा लिखित दो अन्य नाटक हैं-आषाढ़ का एक दिन जो 1958 में प्रकाशित हुआ था। यह महाकवि कालिदास के परिवेश, रचना प्रक्रिया तथा प्रेरणा स्रोत से सम्बद्ध है। यह रोमानी भावुकता से युक्त नाटक है। इनका तीसरा नाटक ‘आधे अधूरे है जो 1969 में रचा गया। जनमेजय का नागयज्ञ प्रसाद की नाट्य कृति है जबकि सिन्दूर की होली लक्ष्मी नारायण मिश्र की तथा मिस्टर अभिमन्यु लक्ष्मीनारायण लाल की नाट्य कृति है। खोत-नेट / स्लेट – हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ० 295-296

42. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने भक्ति काल के निम्नलिखित कवियों में से किसे सबसे कम महत्व प्रदान किया था:

 (1) तुलसी 

(3) कबीर

(2) सूरदास 

(4) जायसी

उत्तर (3) आलोचना सम्राट आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का हिन्दी आलोचना क्षेत्र में अद्वितीय स्थान है। इनके द्वारा रचित आलोचनात्मक ग्रन्थ- हिन्दी साहित्य का इतिहास, गोस्वामी तुलसीदास जायसी ग्रन्थावली की भूमिका. चिन्तामणि (दो भाग) रसमीमांसा, भ्रमरगीतसार, सूरदास आदि उल्लेखनीय हैं। उन्होंने तुलसी को हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ | कवि सिद्ध करने के लिए उनके समक्ष हिन्दी के किसी कवि को महत्व नहीं दिया। शुक्ल अपने नीतिवादी दृष्टिकोण के कारण सूर के प्रति और अपनी वर्णव्यवस्था तथा अवतारवाद में आस्था के कारण कबीर आदि निर्गुण कवियों के प्रति न्याय नहीं कर सके हैं। तुलसी के प्रति उनका मोह कबीर के प्रति अन्याय कर गया है। स्रोत-हिन्दी साहित्य. युग और प्रवृत्तियाँ, डा० शिव कुमार शर्मा, पृ0 672

43. हिंदी साहित्य में सरदार पूर्ण सिंह की ख्याति किस रूप में है :

(1) एक आलोचक के रूप में 

(2) एक नाटककार के रूप में

(3) एक निबंधकार के रूप में 

(4) एक व्यंग्यकार के रूप में

उत्तर (3) हिन्दी साहित्य में सरदार पूर्ण सिंह की ख्याति एक निबन्धकार के रूप में है। सरदार पूर्ण सिंह जीवन और व्यवसाय की दृष्टि से वैज्ञानिक थे किन्तु उनके निबन्धों में बालय भावात्मकता के साथ-साथ मानवतावादी दृष्टिकोण की प्रधानता है। स्वाधीन चिमान और प्रगतिशीलता इनके निबन्धों के नैसर्गिक गुण है। इनके निबन्ध आचरण की सभ्यता’, ‘सच्ची वीरता मजदूरी और प्रेम कन्यादान’. पवित्रता’ तथा ‘अमेरिका का मस्त योगी वाल्ट व्हिटमैन पर्याप्त लोकप्रिय हुए। स्रोत- हिन्दी साहित्य-युग और प्रवृत्तियां.डॉ० शिव कुमार शर्मा, पृ0 660 

44. निम्नलिखित में से किस कहानी के लेखक प्रेमचंद

नहीं है 

(1) बड़े घर की बेटी

(2) मिस पद्मा

 (3) ठाकुर का कुआँ

 (4) छोटा जादूगर

उत्तर (4) 

45. निम्नलिखित में से किस ग्रंथ के लेखक रामविलास शर्मा हैं

(1) संस्कृति के चार अध्याय

(2) कविता के नए प्रतिमान 

(3) भारत में अंग्रेजी राज और मार्क्सवाद

(4) राग दरबारी

उत्तर (3) भारत में अंग्रेजी राज और मार्क्सवाद नामक आलोचना ग्रन्थ के लेखक राम विलास शर्मा जी हैं। इनकी अन्य आलोचनात्मक कृतियां हैं- प्रगति और परम्परा, प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं आस्था और सौन्दर्य, भाषा साहित्य और संस्कृति, मार्क्सवाद और प्राचीन साहित्य का मूल्यांकन, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना, प्रेमचन्द और उनका युग. भारतेन्दु युग, भाषा और समाज महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण, नयी कविता और अस्तित्ववाद, प्राचीन भारत के भाषा परिवार, मार्क्स और पिछड़े हुए समाज आदि संस्कृति के चार अध्याय के लेखक रामधारी सिंह दिनकर है, कविता के नए प्रतिमान के लेखक डॉ० नामवर सिंह है तथा राग दरबारी’ के लेखक श्री लाल शुक्ल हैं। स्रोत- हिन्दी साहित्य एवं संवेदना का विकास, राम स्वरूप चतुर्वेदी

46.’अनन्त’ शब्द की सही संधि होगी : 

(1) अन + अन्त

(3) अ + नन्त

(2) अन् + अन्त

 (4) अनन् त

उत्तर (2) ‘अनन्त’ शब्द की सही सन्धि अन् अन्त होगी। यह व्यंजन संधि का उदाहरण है। व्यंजन के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उस व्यंजन में जो रूपान्तरण होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज

47. निम्नलिखित में से वर्तनी की दृष्टि से अशुद्ध शब्द का चयन कीजिए:

(1) शरच्चंद्र

(2) यानि

(3) श्मश्रु 

(4) कवयित्री

उत्तर (3)

49. मात्रा क्रम की दृष्टि से दोहा के ठीक विपरीत पड़ने

वाले छंद का नाम है

 (1) रोला

(2) चौपाई

(3) सोरठा

(4) हरिगीतिका

उत्तर (3) मात्रा-क्रम की दृष्टि से ‘दोहा के ठीक विपरीत पड़ने वाले छन्द का नाम ‘सोरठा’ है सोरठा (चार चरण 11,13.11.13 मात्राएँ) दोहा के विपरीत होता है। इसके पहले और तीसरे में 11-11 मात्राएं होती हैं जबकि दोहा के प्रथम एवं तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं होती है। सोरठा में दूसरे और चौथे चरण के आरम्भ में जगण (ISI) नहीं होता। पहले और तीसरे चरणों के में अन्त है। चौपाई के प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं रोला के प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ तथा हरिगीतिका के प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं। लघु होता स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी. डॉo पृथ्वीनाथ पाण्डेय, पृ0 463

50. निम्नलिखित में से ‘अष्टछाप’

वाले कवि का नाम है

(1) कुंभनदास

(3) नंददास

के अंतर्गत न पड़ने

(2) सुंदरदास

(4) परमानंददास

उत्तर (2) सुन्दरदास ‘अष्टछाप’ के कवि न होकर सन्त परम्परा के कवि हैं। ये सन्त दादूदयाल के शिष्य थे। सन्त परम्परा में ये सबसे अधिक शिक्षित थे ‘ज्ञान समुद्र’ तथा सुन्दर विलास इनकी रचनाएं हैं। इनकी रचनाओं का संकलन सुन्दर ग्रन्थावली (दो भाग) नाम से पुरोहित हरिनारायण शर्मा द्वारा सम्पादित की गयी हैं। बल्लभाचार्य के पुत्र गोस्वामी विट्ठलनाथ ने ‘अष्टछाप’ की स्थापना की थी। अष्टछाप के कवि हैं- कुम्भनदास, सूरदास, परमानन्ददास, कृष्णदास (सभी बल्लभाचार्य के शिष्य) तथा गोविन्द स्वामी, नन्ददास, छीतस्वामी चतुर्भुजदास (सभी गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य) स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र,

51. खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य है

(1) कामायनी

(3) साकेत

(2) रामचरितमानस

 (4) प्रियप्रयास

उत्तर (4) प्रिय प्रवास खड़ी बोली में लिखा गया प्रथम महाकाव्य है। इसके रचनाकार अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी हैं. इसमें राधा और कृष्ण को सामान्य नायक-नायिका के स्तर से ऊपर उठाकर विश्व-सेवी तथा विश्व प्रेमी के रूप में चित्रित किया गया है। इनकी अन्य रचनाओं में पद्यप्रसून, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, बोलचाल. रसकलस तथा वैदेही वनवास प्रसिद्ध हैं ‘कामायनी’ के रचनाकार जयशंकर प्रसाद हैं। रामचरितमानस’ तुलसी की कृति है तथा ‘साकेत मैथिलीशरण गुप्त की रचना है। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नागेन्द्र. पृ0 497

52.’हारे को हरिनाम शीर्षक काव्यग्रंथ के रचनाकार हैं : 

(1) मैथिलीशरण गुप्त 

(3) वियोगी हरि

 (2) रामधारी सिंह ‘दिनकर’

(4) सुमित्रानंदन पंत

उत्तर (2) भारत सरकार द्वारा सन् 1972 में ‘उर्वशी’ कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले रामधारी सिंह दिनकर हारे को हरिनाम शीर्षक काव्यग्रन्थ के रचनाकार हैं। इनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाएं हैं- बारदोली विजय, प्रणभंग, रेणुका, हुँकार, रसवंती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, नील कुसुम, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, कोयला और कवित्व, मृत्ति तिलक, सीपी और शंख, आत्मा की आँखें रश्मिलक, संस्कृति के चार अध्याय तथा शुद्ध कविता की खोज आदि। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त, पृ0 196

53.किस काव्य कृति पर अज्ञेय को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार

प्राप्त हुआ था

(1) सागर मुद्रा

(2) कितनी नावों में कितनी बार

(3) इत्यलम्

 (4) आंगन के पार द्वार

उत्तर (2) कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्यकृति पर अज्ञेय को 1978 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था अज्ञेय की प्रमुख काव्य-कृतियां हैं- हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी इन्द्र धनुष रौंदे हुए, अरी ओ करुणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, सागर मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, नदी की बाँक पर छाया असाध्य वीणा, चिन्ता, इत्यलम आदि । स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ0 54 तथा 103

54.आधुनिक हिंदी साहित्य के ‘द्विवेदी युग’ का नामकरण किस रचनाकार के नाम के आधार पर किया गया। 

(1) हजारी प्रसाद द्विवेदी

 (2) सुधाकर द्विवेदी

 (3) महावीर प्रसाद द्विवेदी

 (4) मन्नन द्विवेदी

उत्तर (2) कितनी नावों में कितनी बार नामक काव्यकृति पर अज्ञेय को 1978 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था अज्ञेय की प्रमुख काव्य-कृतियां हैं- हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी इन्द्र धनुष रौंदे हुए, अरी ओ करुणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, सागर मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, नदी की बाँक पर छाया असाध्य वीणा, चिन्ता, इत्यलम आदि । स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ0 54 तथा 103उत्तर (3) संवत् 1950 से 75 तक का समय हिन्दी साहित्य के इतिहास में ‘द्विवेदी युग’ के नाम से अभिहित किया जाता है। इस युग की साहित्य-चेतना के सूत्रधार प्रस्तुत युग के प्रधान पुरुष महावीर पसाद द्विवेदी थे। ये सुदीर्घ काल तक ‘सरस्वती’ पत्रिका का सम्पादन करते रहे तथा युग की भाषा और उसके साहित्य के रूपों को सुदृ हाथों से निर्धारित करते रहे। उनकी ‘सरस्वती’ पत्रिका अपने आप में एक संस्था थी। इनकी प्रमुख कृतियां है-मंजूषा सुमन, कान्यकुब्ज, अमला विलाप, गंगालहरी, ऋतुतरंगिणी, कुमार संभवसार आदि स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव

55.कुमार शर्मा, पृ0 462 राग दरबारी के रचनाकार का नाम है

(1) मोहन राकेश

(2) श्रीलाल शुक्ल

 (3) हरिशंकर परसाई

(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं

 उत्तर (2) श्रीलाल शुक्ल की व्यंगात्मक कृति रागदरबारी’ राजनीति पर कटाक्ष करने वाली कृति है। अज्ञातवास व ‘आदमी का जहर इनके अन्य उपन्यास है। मोहन राकेश द्वारा रचित उपन्यास न आने वाला कल, अँधेरे बन्द कमरे तथा अन्तराल आधुनिकता से अधिक प्रभावित हैं। हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित उपन्यास रानी नागमती की कहानी है। स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ0 65-66

56. निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘हवा’ का पर्यायवाची नहीं है

 (1) अनिल

(3) मारूत

(2) अनल

(4) पवन

 उत्तर (2)

57. ‘मूक’ का विलोम शब्द है

(1) अमूक

 (3) याचाल 

(2) शूक 

(4) हूक

 उत्तर (3): भूक शब्द का विलोम शब्द वाचाल है। स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, पृ० 129)

58. ‘बाणभट्ट की आत्मकथा है

 (1) एक कहानी

(3) एक आत्मकथा

(2) एक उपन्यास

 (4) इनमें से कुछ भी नहीं

उत्तर (2) बाणभट्ट की आत्मकथा (1946) एक उपन्यास है। इस उपन्यास के लेखक ऐतिहासिक उपन्यासकार हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं। इसकी कथावस्तु मुख्यतः बाण की कादम्बरी तथा हर्ष चरित से संग्रहीत है। हजारी प्रसाद द्विवेदी के अन्य उपन्यासों में चारूचन्द्र लेख जिसमें राजा सातवाहन (हाल) तथा चन्द्र लेखा आदि की कथा है। पुनर्नवा जिसमें इतिहास लोक कथा, बिम्बों, प्रतीकों, मिथकों व निजधरी कथाओं को बड़े अजीब ढंग से घुला मिला दिया है तथा ‘अनामदास का पोथा जिसकी कथा छान्दोग्य और बृहदारण्यक उपनिषदों में विद्यमान है। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव कुमार शर्मा, 

टा०जी०टी० परीक्षा-

59. निम्नलिखित में से किस कवि ने सिर्फ अवधी भाषा में ही रचना की

(1) कबीर 

(3) तुलसी

(2) सूरदास

 (4) जायसी

उत्तर (4) जायसी ने अपनी रचनाओं में ठेठ अवधी का पूर्वीपन को अपनाया है। उन्होंने अवधी भाषा का इतना सफल प्रयोग किया है कि वे कदाचिद हिन्दी के अमर ग्रन्थ रामचरित मानस के कर्त्ता तुलसी के भी इस दिशा में पथ -प्रदर्शक कहे जा सकते हैं। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम, चित्ररेखा कहरनामा, मसलनामा, और कान्हावत कबीर की भाषा खिचडी भाषा है। तुलसी की भाषा ब्रज एवं अवधी दोनों है जबकि सूरदास की भाषा ब्रज है। स्रोत- हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियों डॉ० शिवकुमार शर्मा, पृ० 206 234, 155 287 

60. प्रेमचंद के निम्नलिखित उपन्यासों को रचना वर्ष के सिलसिलेवार क्रम में सजाइए

(क) गबन

(ख) गोदान

(ग) सेवासदन

(1) क ख ग

 (2) ग क ख

(3) ख क ग 

(4) गख क

उत्तर (2) सेवा सदन (1918) का प्रकाशन न केवल प्रेमचन्द (1880-1936) के साहित्यिक जीवन की वरन् हिन्दी उपन्यास की भी महत्वपूर्ण घटना थी। प्रेमचन्द ने ‘गबन’ की रचना 1931 में तथा गोदान की रचना 1935 में की थी। प्रेमचन्द के अन्य महत्वपूर्ण उपन्यास हैं- प्रेमाश्रम (1922). रंगभूमि (1925) कायाकल्प (1926) निर्मला (1927) तथा कर्मभूमि (1933) आदि। स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र पृ० 573-574

61. ‘पायौजी मैंने राम रतन धन पायौ-प्रस्तुत पद के रचयिता का नाम है :

 (1) सूरदास

 (3) मीराबाई

(2) कुंभनदास

(4) तुलसी

उत्तर (3)

62. ‘आल्ह खण्ड’ का दूसरा नाम है।

(1) परमाल रसो

 (3) खुमाण रासो

(2) बीसलदेव रासो

 (4) हम्मीर रासो

उत्तर (1) उत्तर प्रदेश में ‘आल्हखण्ड के नाम से जो काव्य प्रचलित है, वही ‘परमाल रासो’ के मूल रूप का विकसित रूप माना जाता है। धीरे-धीरे ‘आल्हा लोकगीत की एक शैली ही बन गया है। परमाल रासो का रचयिता जगनिक, महोबा के राजा परमार्दिदेव का आश्रित था। ‘हम्मीर रांसो की रचना शार्ङ्गधर नामक कवि ने की थी। ‘खुमाण रासो’ के रचयिता दलपति विजय तथा बीसलदेव रासो के रचयिता नरपतिनाह है।स्रोत- हिन्दी साहित्य का इतिहास- डॉ० नगेन्द्र, 

 63. निम्नलिखित में से कौन-सी बोली पश्चिमी हिंदी के

अंतर्गत नहीं पड़ती है

 (1) ब्रजभाषा

(2) अवधी 

(4) कन्नौजी

(3) मुन्देली

उत्तर (2) अवधी’ बोली पूर्वी हिन्दी के अन्तर्गत आती है। यह मुख्य रूप से उत्तर-प्रदेश में बोली जाती है। पूर्वी हिन्दी के अन्य बोलियों में बघेली मध्य प्रदेश में तथा छतीसगढी मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में बोली जाती है। पश्चिमी हिन्दी के अन्तर्गत आने वाली बोलियाँ हैं-कौरवी (खडी बोली). हरियाणवी (बांगरू), दक्खिनी, ब्रजभाषा, बुन्देली तथा कन्नौजी स्रोत- हिन्दी भाषा, डॉ० हरदेव बाहरी, पृ० 173, 175 अधिकांश साहित्येतिहासकारों के अनुसार हिंदी के

64.प्रथम कवि हैं:

 (1) कबीर

(3) सरहपाद

(2) सूरदास 

(4) विद्यापत

उत्तर (3) अधिकांश साहित्यकारों के अनुसार हिन्दी के प्रथम कवि का नाम सरहपाद’ है। डॉ० नगेन्द्र द्वारा सम्पादित हिन्दी साहित्य का इतिहास’ में ‘सरहपाद’ को हिन्दी का पहला कवि स्वीकार किया गया है। राहुल सांकृत्यायन ने सातवीं शताब्दी के सरहपाद को हिन्दी का प्रथम कवि स्वीकार किया है सरहपाद ने दोहा और पदों की शैली अपनी कविता में अपनाई है। यह शैली बाद के सभी हिन्दी कवियों ने परम्परा के रूप में अपनाई है। हिन्दी मुक्तक काव्य में दोहा सबसे अधिक प्रिय छन्द रहा है। अतः सभी दृष्टियों से सरहपाद को हिन्दी का प्रथम कवि माना जा सकता है स्रोत- नेट / स्लेट – हिन्दी पात्रता परीक्षा. डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त, पृ0 49

65. खड़ी बोली हिंदी में सर्वप्रथम रचना करने वाले कवि का नाम है :

(1) जायसी 

(3) विद्यापति

(2) अमीर खुसरो 

(4) भारतेंदु हरिश्चंद्र

उत्तर (2) अमीर खुसरो को खड़ी बोली हिन्दी का प्रथम कवि स्वीकार किया गया है। ये सूफी सन्त थे और अनेक विद्वानों ने इन्हें हिन्दुस्तान की तूती कहा है अमीर खुसरो का वास्तविक नाम ‘अबुल हसन या मुनुद्दीन खुसरो था तथा इनका जन्म 1253 ई० में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में पटिपाली नामक करने में हुई थी ये निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। हिन्दी में खुसरो के तीन रचनाएँ मानी जाती हैं- खालिक बारी, हालात-ए-कन्हैया और नजरान-ए-हिन्दी लेकिन इनमें से खालिकबारी ही उपलब्ध है। स्रोत- नेट / स्लेट, हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त पृ0 64

66. भक्तिकालीन सूफी काव्यधारा की विशेषताओं के संदर्भ में निम्नलिखित में से एक विशेषता गलत है उस गलत विशेषता को चुनिए :

(1) इस काव्यधारा के सभी कवि मुसलमान थे

 (2) इस काव्यधारा के सभी कवियों ने हिंदू प्रेमी-प्रेमिकाओं की प्रेम कथा का काव्यात्मक चित्रण प्रस्तुत किया

(3) इस काव्यधारा के कवियों ने अवधी एवं ब्रजभाषा में रचनाएँ कीं

(4) इस काव्यधारा के कवियों ने सिर्फ प्रबंध काव्य ही लिखे

3): भक्तिकालीन सूफी प्रेमाख्यानों की भाषा अवध प्रान्त की अवधी भाषा तथा दोहा-चौपाई शैली है। इस काव्यधारा के सभी कवि मुसलमान थे। सूफी प्रेमकाव्यों के रचयिताओं ने हिन्दू घरानों की प्रेमकथाओं को लेकर तदनुरूप चित्र प्रस्तुत किया है। प्रबन्धकल्पता की दृष्टि से प्रायः सूफी प्रेमाख्यानक काव्यों में एकरूपता व्याप्त है। स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, पृ० 15 थी ये निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। हिन्दी में खुसरो के तीन रचनाएँ मानी जाती हैं- खालिक बारी, हालात-ए-कन्हैया और नजरान-ए-हिन्दी लेकिन इनमें से खालिकबारी ही उपलब्ध है। स्रोत- नेट / स्लेट, हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त पृ0 64

67.आदिकालीन हिंदी साहित्य को ‘सिद्ध सामंत काल’ कहने वाले विद्वान का नाम है 

(1) विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 

(2) रामकुमार वर्मा

 (3) महावीर प्रसाद द्विवेदी

 (4) राहुल सांकृत्यायन

उत्तर (4): आदि कालीन हिन्दी साहित्य को सिद्ध-सामंत काल’ कहने वाले विद्वान राहुल सांकृत्यायन हैं। विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने आदिकाल को ‘वीरकाल की संज्ञा दी है। डॉ० रामकुमार वर्मा ने आदिकाल के ‘संधिकाल एवं चारणकाल की संज्ञा दी है। जबकि महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इसे ‘बीजवपनकाल’ की संज्ञा प्रदान की है। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ0 41

68. ‘जगदीश’ शब्द की सही संधि होगी

(1) जगत + ईश

 (3) जगद् + ईश

(2) जगत् + ईश 

(4) जगद + इश

उत्तर (2) जगदीश शब्द की सही संधि जगत् +ईश होगी। जिन दो वर्णों में सन्धि होती है उनमें से पहला वर्ण यदि व्यंजन हो और दूसरा वर्ण व्यंजन अथवा स्वर हो तो जो विकार होगा, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।’ स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी, डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, पृ० 439

69.एक भारतीय आत्मा’ किस कवि का उपनाम था 

(1) सोहनलाल द्विवेदी

 (2) रामचरित उपाध्याय

(3) मैथिलीशरण गुप्त 

(4) माखनलाल चतुर्वेदी

उत्तर (4) हिन्दी कविता में राष्ट्रीय भावना का घोष करने वाले कवियों में माखन लाल चतुर्वेदी एक भारतीय आत्मा के नाम से विख्यात हैं। बहुत समय तक इन्होंने ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ नामक पत्रों का सम्पादन किया ये खण्डवा से प्रकाशित होने वाले कर्मवीर नामक पत्र के सम्पादक भी रहे। इनकी प्रसिद्ध रचनाएं है-हिम तरंगिणी, हिमं किरीटिनी, युग चारण, समर्पण और माता इन्हें हिम किरीटिनी’ संग्रह पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन से सन् 1954 में सर्वश्रेष्ठ काव्य कृति के रूप साहित्य अकादमी की ओर से पाँच हजार रुपयों का पुरस्कार मिला। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा, गुप्त, पृ० 195

70.संशय की एक रात’ के लेखक हैं :

(1) मुक्तिबोध 

(3) धूमिल

(2) श्रीकांत वर्मा

 (4) नरेश मेहता

उत्तर (4) संशय की एक रात’ नामक खण्ड काव्य के लेखक नरेश मेहता हूँ। नरेश मेहता की प्रमुख काव्य कृतियां हैं-बनपायी सुनो, बोलने दो चीड़ को मेरा समर्पित एकान्त, उत्सव, तुम मेरा मौन हो, आखिरी समुद्र से तात्पर्य, पिछले दिनों नंगे पैरों, देखना एक दिन और अरण्या तथा महाप्रस्थान, प्रवादपर्व, शहरी प्रार्थना पुरुष खण्ड काव्य हैं। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, 

71. ‘तार सप्तक’ का संबंध किस काव्यधारा से है :

(1) प्रगतिवाद 

(3) हालावाद

(2) प्रयोगवाद 

(4) अकविता

उत्तर (2) हिन्दी काव्य में प्रयोगवाद का प्रारम्भ सन् 1943 ई० में अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘तार सप्तक’ के प्रकाशन से माना जाता है। तार सप्तक’ का प्रकाशन ‘अज्ञेय’ के सम्पादकत्व में सन् 1943 में हुआ। इसमें सात कवियों की रचनाएं संकलित थी। 1951 ई0 में दूसरा ‘तारेसप्तक’ प्रकाशित हुआ जिसमें सात कवियों की रचनाएँ संकलित थी इसी तरह तीसरा तार सप्तक अज्ञेय के ही सम्पादकत्व में 1959 ई० में प्रकाशित हुआ जिसमें सात कवियों की रचनाएँ संकलित थी स्रोत-हिन्दी साहित्य-युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिवकुमार शर्मा, पृ 537 जो पहले कभी न हुआ हो’ वाक्यांश के लिए प्रयुक्त

72.शुद्ध एक शब्द है 

(1) अपूर्व 

(2) अभूतपूर्व 

(3) अद्वितीय

(4) इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर (2) जो पहले कभी न हुआ हो वाक्यांश के लिए प्रयुक्त शुद्ध एक शब्द अभूतपूर्व है। इसी तरह जो पहले हो रहा हो या न हुआ हो वाक्यांश के लिए एक शुद्ध शब्द होगा-‘अपूर्व इसी तरह जिसके समान कोई दूसरा न हो के लिए एक शुद्ध शब्द ‘अद्वितीय’ होगा। स्रोत- नालन्दा सामान्य हिन्दी, डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, पृ० 169 171, 172

73. हिंदी में प्रयुक्त शब्द ‘बाल्टी’ शब्द भंडार की दृष्टि से

किस तरह का शब्द है : 

(1) तत्सम

(2) तद्भव

(3) देशज

(4) विदेशज

उत्तर (4)

74. निम्नलिखित में से कौन भरत मुनि के रस सूत्र का एक व्याख्याकार नहीं है

(1) भट्ट लोलट

 (3) शंकुक

(2) क्षेमेन्द्र 

(4) अभिनव गुप्त

उत्तर (2) क्षेमेन्द्र अभिनव गुप्त के शिष्य थे-ध्वनिवादी थे और औचित्य को महनीय स्थान दिया औचित्य को उन्होंने साहित्य शास्त्र में व्यवस्थित रूप अवश्य दिया, लेकिन उसके ये उर्दू भावक नहीं थे। भरत मुनि का रस सूत्र है- “विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगा इस निष्यन्तिः । भरत मुनि के रस सूत्र के प्रमुख व्याख्याकार हैं-भट्टलोल्लट (9वीं शताब्दी) शंकुक (9वीं शताब्दी) भट्टनायक (11वीं शताब्दी) और अभिनव गुप्त (11वीं शताब्दी) के द्वारा क्रमशः मीमांसा. न्याय, सांख्य और शैव दर्शन के आलोक में की गयी जो उत्पत्तिवाद, अनुमितिवाद, मुक्तिवाद और अभिव्यक्तिवाद नाम से विख्यात है। स्रोत- भारतीय काव्य शास्त्र, निशा अग्रवाल, पृ० 28. 42

75. कालिदास की रचना ‘रघुवंशम्’ है:

(1) एक खण्ड काव्य

(2) एक मुक्तक काव्य

 (3) एक गीति काव्य

 (4) एक महाकाव्य

उत्तर (4)

76. बनारसी दास जैन ने लिखी थी

(1) हिंदी की पहली जीवनी

 (2) हिंदी की पहली आत्मकथा

(3) हिंदी की पहली कहानी

(4) हिंदी की पहली काव्य नाटिका

उत्तर (2) हिन्दी में आत्मकथा विधा का आरम्भ बनारसीदास जैन की ‘पद्यात्मक रचना’ ‘अर्द्धकथानक (1641) से होता है अर्थात बनारसी दास जैन ने हिन्दी की पहली आत्मकथा लिखी। हिन्दी जीवनी लेखन का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के समय से होता है। हिन्दी के पहली कहानी किशोरी लाल गोस्वामी द्वारा रचित इन्दुमती है जो 1900 ई० में ‘सरस्वती’ में प्रकाशित हुई थी जयशंकर प्रसाद द्वारा लििित ‘करुणालय’ के हिन्दी का प्रथम गीति नाट्य (काव्य-नाटिका) माना जाता है स्रोत हिन्दी साहित्य का इतिहास, डॉ० नगेन्द्र, पू0 595

77. जिस काव्य पंक्ति में प्रयुक्त किसी एक ही शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, उस पंक्ति में अलंकार होता है:

(1) रूपक

 (3) यमक

(2) अनुप्रास

(4) श्र्लय

उत्तर (4): जब पंक्ति में एक ही शब्द के अनेक अर्थ होते हैं. तब वहाँ श्लेष अलंकार होता है। जहाँ उपमेय को उपमान का रूप मान लिया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है जहाँ एक शब्द की आवृत्ति दो या दो से अधिक बार होती है परन्तु उनके अर्थ अलग-अलग होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है। जहाँ पर वर्णों की आवृत्ति होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। स्रोत-नालन्दा सामान्य हिन्दी, डा० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, पृ0 45, 456, 457

78. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने किस कवि को ‘कठिन काव्य का प्रेत कहा था 

(1) भूषण

(3) देव

(2) केशव

 (4) पद्माकर

उत्तर (2) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने केशवदास को कठिन काव्य का प्रेत कहा है तथा यह भी कहा है कि उन्हें कवि हृदय नहीं मिला था। केशव को वेदान्तवादी मिश्र कहा जाता है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं- रामचन्द्रिका, रसिक प्रिया, कवि प्रिया, विज्ञानगीता, वीर सिंह देव चरित, रतन बावनी, जहाँगीर जस- चन्द्रिका और छंदमाला। स्रोत- नेट / स्लेट-हिन्दी पात्रता परीक्षा, डॉ० शर्मा, शर्मा गुप्त, पृ० 15 5 

79.”वाक्यं रसात्मकं काव्यम् – काव्य- परिभाषा के प्रस्तोता हैं :

.(1) पंडितराज जगन्नाथ 

(2) आचार्य भामह 

(3) आचार्य दण्डी 

(4) आचार्य विश्वनाथ

उत्तर (4) आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को इस प्रकार परिभाषित किया- वाक्यम् रसात्मक काव्यम् -साहित्य दर्पण इसमें काव्य की रसात्मकता पर बल है और ‘वाक्य’ को काव्य कहा गया जबकि अब तक “शब्दार्थ’ को काव्य कहा गया है। आचार्य जगन्नाथ का काव्य लक्षण है- रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् रसगंगाधर भामह का काव्य लक्षण है- ‘शब्दार्थो सहितौ काव्यमुगद्य पद्यं च तदविधा। दण्डी का काव्य लक्षण है- ‘शरीरे तावदिष्टर्थ. व्यवच्छिन्ना पदावली स्रोत- भारतीय काव्य शास्त्र निशा अग्रवाल, क्षा- 2001 / हिन्दी

80. रसों के संचारी भावों की कुल संख्या होती है

13

(1) 23

(2) 27

(3) 33 

(4) 37

उत्तर (3) संचारी भावों की संख्या तैंतीस निर्धारित की गयी है। भरतमुनि द्वारा दी गयी सूची के अनुसार वे इस प्रकार है-निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य दैन्य, चिन्ता, मोह, स्मृति, धृति, व्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विवाद और सुक्य, निद्रा, अपस्मार विवोध अमर्ष, अवहित्थ, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रास, वितर्क, स्वप्न स्रोत- भारतीय काव्यशास्त्र, निशा अग्रवाल, पू० 23

81. संस्कृत के किस कवि ने ‘एको रस करुण एव’ कहकर करुण रस को रसराज घोषित किया

(2) कालिदास

 (3) माघ

(2) भवभूति 

(4) भास

उत्तर (2)

82. ‘परमाल रासो काव्य कृति के कवि का नाम है

(1) नल्हसिंह भट्ट 

(2) जगनिक 

(4) शारंगधर

(3) हेमचंद्र

उत्तर (2) परमाल रासो या आल्हखण्ड नामक काव्यकृति के कवि जगनिक हैं। जगनिक कालिंजर के राजा परमादिदेव के दरबारी कवि थे हम्मीर रासो के विषय में प्रसिद्ध है कि आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ शाङ्गधरपद्धति के रचयिता शागधर ने ही हम्मीर रासो नामक वीर रस के काव्य का प्रणयन किया था। स्रोत- हिन्दी साहित्य-युग और प्रवृत्तियाँ, डॉ० शिव कुमार शर्मा, पृ० 74

83. ‘पितृ’ शब्द के प्रथमा बहुवचन का रूप है :

(1) पितृः

(2) पितरा:

(3) पितरः

(4) पितार:

उत्तर (3): पितृ’ शब्द के प्रथमा बहुवचन का रूप पितरः होता है।

84. ‘नीलोत्पल’ शब्द में समास है

(1) अव्ययीभाव 

(3) कर्मधारय

(2) तत्पुरूष

(4) बहुब्रीहि

उत्तर (3) नीलोत्पल शब्द में समास कर्मधारय है जिसका विग्रह नीला है जो उत्पल’ होता है। जिस समास के दोनों पदों में विशेष्य-विशेषण या उपमेय-उपमान सम्बन्ध हो तथा दोनों पदों में एक ही कारक की विभक्ति आये, उसे कर्मधारय समास कहते हैं। अन्य पद प्रधान समास के बहुब्रीही समास कहते हैं जिस समास में पहला पद प्रधान होता है तथा समस्त पद अव्यय का काम करता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा विभक्ति चिन्हों का लोप हो जाता हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। स्रोत- प्रतियोगिता साहित्य सीरीज, 

85.निम्नलिखित में से स्त्रीलिंग शब्द को चुनिए

(1) धुआँ

(3) भत्ता

(2) संध्या 

(4) धावा

उत्तर (2)

निष्कर्ष , यदि आप लास्ट क्वेश्चन तक पढ़ते हुए पहुंच गए हैं तो के लिए आपको यह क्वेश्चन पसंद आए तो अपने दोस्तों को शेयर कीजिए और बताइए कि वेबसाइट बहुत अच्छी है और हमको पसंद है और कोई सलाह के लिए हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा या शिकायत हो आपकी कोई भी

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